आरंग(छत्तीसगढ़)। बलौदाबाजार जिले के सिविल सर्जन डॉक्टर की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद रायपुर जिले के आरंग में दहशत का माहौल है, क्योंकि डॉक्टर का आरंग के बस स्टैंड में निजी अस्पताल संचालित है. जहां वो रविवार को भी मरीजों का इलाज कर रहे थे. डॉक्टर की देर रात रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई है. डॉक्टर के पास इलाज कराने आए लोगों और आस पास क्षेत्र में हड़कंप मचा हुआ है।बताया जा रहा है कि डॉक्टर हर रविवार को मरीजों का इलाज करते है. जिस कारण अस्पताल में मरीजों की संख्या आम दिनों की तुलना में अधिक रहती है, लेकिन जब जानकारी मिली कि डॉक्टर कोरोना संक्रमित है, तो अस्पताल के आसपास की दुकानों में ताले लग गए. दुकान संचालक भयभीत होकर अपनी अपनी दुकानें बंद कर चले गए. इतना ही नहीं रविवार को इलाज कराने गए मरीज भी भय और आशंका से घिरे है.
जानकारी मिलते ही प्रशासन ने उनके आरंग स्थित निजी अस्पताल को देर रात ही सील कर दिया गया है. सील करने से पूर्व प्रशासन द्वारा क्लिनिक में भर्ती 13 मरीजों को अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया गया. अस्पताल के तमाम स्टाफ का आरटीपीसीआर टेस्ट कर होम आइसोलेट करने की प्रक्रिया जारी है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अस्पताल में लगे सीसीटीवी के डीवीआर को जब्त कर लिया गया है. जिससे उसकी रिकॉर्डिंग को देख रविवार को अस्पताल में आये तमाम लोगों की पहचान कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करते हुए उन्हें आइसोलेट किया जा सके.
बड़ा सवाल यह है कि सिविल सर्जन होने के बाद भी डॉक्टर आरंग में निजी अस्पताल का बेधड़क संचालन कर रहा था. इस दौरान वे आरंग से रायपुर और रायपुर से बलौदाबाजार आते जाते रहे. इसके अलावा जब उन्हें भलीभांति मालूम था कि उनका स्वाब सैंपल लेकर एम्स भेजा गया है और रिपोर्ट आने तक उन्हें बेहद सावधानी बरतनी है. इसके बाद उन्होंने लापरवाही बरती और आरंग में अपने अस्पताल आकर मरीजों का इलाज करते रहे.
अब बड़ा सवाल यही है कि क्या स्वास्थ्य विभाग इन अनियमितताओं और लापरवाही दिखाते हुए आम लोगों और मरीजों के जीवन से जानबूझकर खिलवाड़ करने के लिए सिविल सर्जन के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई करेगा ?