सरकार पर ‘भारी’ सुहास भगत
भोपाल। भोपाल के अरेरा कॉलोनी स्थित विशाल दीनदयाल परिसर के 2 छोटे कमरों में रहने वाले प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री सुहास भगत को जितना सीधा और संगठन के मामले में अनुभवहीन माना जाता था, वे भाजपा सरकार के चौथे कार्यकाल में सबसे ताकतवर और अनुभवी बनकर उभरे हैं। लगभग 13 साल ठप्पे से सरकार चलाने वाले मुख्यमंत्री को पहली बार संगठन की ताकत का अहसास हो रहा है। मुख्यमंत्री चाहकर भी अपने पसंदीदा विधायकों को मंत्री नहीं बना पा रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार टलता जा रहा है।
मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मदद से बनी भाजपा की सरकार में इस बार पहले जैसा माहौल नहीं है। मुख्यमंत्री को अब हर कदम पर संगठन को साथ लेकर चलना पड़ रहा है। शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के जिन नेताओं को मंत्री बनाना चाहते हैं संगठन उनके लिए तैयार नहीं है। मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर शिवराज सिंह चौहान कम से कम चार बार सुहास भगत के पास जाकर सलाह मशवरा कर चुके हैं, लेकिन संगठन मुख्यमंत्री फ्री हेंड देने के मूड में नहीं है।बताया जाता है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने तय किया है कि मप्र में सत्ता और संगठन में नए नेतृत्व को उभारा जाए। यही कारण है कि संघ से आए संगठन महामंत्री सुहास भगत ने संगठन के साथ-साथ अब सत्ता में भी इसी लाईन को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है।
शिवराज सिंह के चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें अपना छोटा मंत्रिमंडल बनाने में एक महीना इसलिए लगा। बताते हैं कि मुख्यमंत्री ब्राह्मण कोटे गोपाल भार्गव को मंत्री बनाना चाहते थे, लेकिन सुहास भगत ने नरोत्तम मिश्रा का नाम आगे बढ़ाया। यह भी चर्चा है कि भार्गव को रोकने उनके कथित ऊल-जलूल बयानों की कटिंग पार्टी के प्रभारी उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे को भेजी गई थीं। अब खबर आ रही है कि शिवराज मंत्रिमंडल में 60 से अधिक उम्र के कम से कम मंत्री होंगे। 60 से कम उम्र के अनुभवी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल करने पर विचार चल रहा है।
ग्वालियर में दिखाई ताकत
संगठन महामंत्री सुहास भगत ने अपनी ताकत का अहसास ग्वालियर में भाजपा के एक बड़े नेता को पिछले दिनों कराया। ग्वालियर में जिला भाजपा अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर इस नेता के समर्थकों ने बैठक करके सुहास भगत पर गंभीर आरोप लगाए थे। कुछ देर में ही संगठन ने ग्वालियर के वरिष्ठ नेता को संदेश भेजा कि उनके समर्थक तत्काल माफी नहीं मांगते हैं तो सभी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा। सभी ने लिखित में माफी मांगी।
न कप्तान, न अरविंद, अलग छवि
सुहास भगत ने न तो कप्तान सिंह सोलंकी की तरह सत्ता में सीधा हस्तक्षेप किया है और न ही अरविंद मेनन की तरह सत्ता का पल्लू पकड़कर उसके पीछे चलने की कोशिश की है। संगठन महामंत्री रहे कप्तान सिंह सोलंकी मंत्रालय में मंत्रिमंडल की बैठकों में शामिल होने पहुंच जाते थे। जबकि इसी पद पर रहे अरविंद मेनन ने पूरी तरह मुख्यमंत्री का पल्लू थाम लिया था। सुहास भगत इन दोनो से अलग अपनी छवि बना रहे हैं। वे बेहद लोप्रोफाइल रहकर संघ की लाइन को आगे बढ़ा रहे हैं।