डॉ. शत्रुघ्न पंजवानी लगातार मरीज़ों का इलाज करते रहे, कोरोना से हो गई मौत
- सिंधी समाज से ताल्लुक ऱखने वाले ड़ॉ. शत्रुघ्न पंजवानी ने पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी ऑफ सिंध से 1983 में एमबीबीएस किया था
- इंदौर को अपनी कर्मभूमि बनाया और यहां प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू की
इंदौर। यहां एमबीबीएस डॉक्टर शत्रुघ्न पंजवानी की कोरोना से मौत हो गयी. बताया जा रहा है कि वो लगातार अपने क्लीनिक पर मरीजों का इलाज करते रहे. उनके क्लीनिक पर मरीज़ों की भारी भीड़ रहती है. वो रोज 200 से 250 पेशेंट देखते थे. उनके क्लीनिक पर सैफी नगर और गुलजार नगर जैसे मुस्लिम बाहुल्य इलाके के मरीज ज्यादा पहुंचते थे. आशंका है कि किसी मरीज से उन्हें कोरोना का संक्रमण हुआ.
कोरोना से लड़ाई हारे डॉक्टर शत्रुघ्न पंजवानी के तीन बेटे हैं. तीनों ऑस्ट्रेलिया में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं. बेटे अपने पिता को मुखाग्नि नहीं दे पाए. उन्होंने मोबाइल फोन पर वीडियो कॉल के ज़रिए अपने पिता के अंतिम दर्शन किए और वीडियो कॉफ्रेंसिंग के ज़रिए अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल हु्ए.भारत से फ्लाइट बंद होने के कारण बेटे ऑस्ट्रेलिया में भी फंसे हुए हैं. हालांकि वो अपने पिता से लगातार संपर्क में थे.
पाकिस्तान से आए थे डॉक्टर पंजवानी
सिंधी समाज से ताल्लुक ऱखने वाले ड़ॉ. शत्रुघ्न पंजवानी 1985 में पाकिस्तान से भारत आए थे. उन्होंने पाकिस्तान की यूनिवर्सिटी ऑफ सिंध से 1983 में एमबीबीएस किया था.इंदौर को अपनी कर्मभूमि बनाया और यहां प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू की. डॉ पंजवानी ने यहां रूपराम नगर में क्लीनिक खोला. इसके अलावा वो त्रिवेणी मेडिकल कॉलेज में प्रैक्टिस करते थे. 62 साल के पंजवानी के क्लीनिक पर मरीजों की भीड़ लगी रहती थी.
ऐसे आ गए कोरोना की जद में
गले में खराश और बुखार होने पर डॉ शत्रुघ्न पंजवानी ने 22 मार्च को दूसरे डॉक्टरों से कंसल्ट किया था और अपने आपको क्वारेंटाइन कर लिया था। उसके बाद भी मरीजों का 28 मार्च तक देखना जारी रहा ।30 मार्च को तबियत ज़्यादा बिगड़ी तो उन्होंने फिर डॉक्टरों से कंसल्ट किया. डॉक्टरों के परामर्श के मुताबिक 3 अप्रैल को उन्होंने कोरोना की जांच के लिए अपना सैंपल दिया जिसमें उनकी पहली रिपोर्ट निगेटिव आई. उसके बाद 4 अप्रैल को भी जांच कराई गई जिसमें दूसरी रिपोर्ट भी निगेटिव आई. लेकिन 5 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई. डॉ पंजवानी को पहले गोकुल दास अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां से सीएचएल हॉस्पिटल शिफ्ट कर दिए गए. यहां भी सेहत में सुधार न होने के कारण बुधवार शाम को उन्हें अरबिंदो हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया था, जहां गुरूवार सुबह उनकी मौत हो गई।
सैंपल रिपोर्ट में देरी का कारण भी बना इनकी जान का खतरा । जब दो दो बार सैंपल रिपोर्ट कैसे नेगेटिव आई? इसका मतलब है जांच करने वाली मशीन रिपोर्ट सही नहीं दे पा रही हैं। सरकार के पास अभी भी जो मशीनें उपलब्ध हैं वह एग्जैक्ट रिपोर्ट देने में शायद असमर्थ हैं इसके लिए सरकार को अच्छी मशीनों को लाने का प्रयास करना पड़ेगा।
डॉक्टर पंजवानी की गलतियां
डॉक्टर ने कभी भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा । मास्क और दस्ताने नही पहने। डॉक्टर होने के बाद भी इतनी बड़ी गलतियां करते रहे। पूरे देश को यह पता था कि तबलगी जमात के लोग हिंदुस्तान में फैल चुके हैं।