देश में बीते पांच सप्ताह से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों में नया उप स्वरूप जेएन.1 पाया जा रहा है, लेकिन अब इसके प्रसार में वृद्धि हुई है। बीते एक सप्ताह में जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए आए मरीजों के सभी सैंपल में यह नया उप स्वरूप मिला है, जो वर्तमान में दुनिया के 40 से अधिक देशों में संक्रमण को बढ़ावा दे रहा है। साथ ही देश के 11 राज्यों में कोरोना बढ़ रहा है।
भारत के जीनोमिक्स कंसोर्टियम यानी इन्साकॉग ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि पिछले महीने नवंबर में जीनोम सीक्वेंस के दौरान देश के पहले चार जेएन.1 संक्रमित मामले सामने आए, लेकिन इस महीने 17 मरीजों में यह स्वरूप पाया गया। कुल आठ सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग में सभी जेएन.1 से संक्रमित मिले, जबकि इससे पहले के सप्ताह में 20 फीसदी और 50 फीसदी सैंपल में यह पाया गया।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के पूर्व संक्रामक विभागाध्यक्ष डॉ. समीरन पांडा का कहना है कि जेएन.1 उप स्वरूप की आर वैल्यू ओमिक्रॉन से ज्यादा देखी जा रही है। इसका मतलब है कि एक से दूसरे या फिर तीसरे व्यक्ति तक संक्रमण प्रसार की क्षमता अधिक है, लेकिन गंभीरता के मामले में यह उतना ताकतवर नहीं है, जितना बीते वर्षों में था। वहीं, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की कोविड टास्क फोर्स के सह अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया कि जेएन.1 उप स्वरूप को लेकर कई चिकित्सा अध्ययन सामने आए हैं, जिनसे जाहिर है कि यह बहुत अधिक गंभीर स्वरूप नहीं है, लेकिन यह तेजी से लोगों को अपनी चपेट में जरूर ले सकता है।
इन राज्यों में पहुंचा संक्रमण
इन्साकॉग के अलावा नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) ने भी स्वास्थ्य मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि जेएन.1 का संक्रमण देश के 11 राज्यों तक पहुंचा है। केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और महाराष्ट्र के अलावा गोवा, पुडुचेरी, गुजरात, तेलंगाना, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में भी कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं, जिनके सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग रिपोर्ट आने का इंतजार है।
केवल 10 प्रयोगशालाओं में 10 हजार से ज्यादा नमूनों की हुई सीक्वेंसिंग
इन्साकॉग के अनुसार, देश के अलग-अलग राज्यों को मिलाकर कुल 60 प्रयोगशालाओं के पास जीनोम सीक्वेंसिंग की क्षमता है, लेकिन जनवरी 2020 से अब तक केवल 10 ने ही 10 हजार से ज्यादा सैंपल की सीक्वेंसिंग की है। इनमें प.बंगाल के कल्याणी स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल जीनोमिक्स ने सर्वाधिक 34,779 सैंपल को सीक्वेंस किया है। दूसरे स्थान पर हैदराबाद स्थित सीसीएमबी ने 22,643 और दिल्ली स्थित एनसीडीसी ने 20,842 सैंपल में नए स्वरूपों की पहचान की है। देश की 37 प्रयोगशालाओं ने अब तक दो हजार का आंकड़ा भी पार नहीं किया है। इन्साकॉग के आंकड़े देश में तत्काल जीनोम सीक्वेंस को बढ़ावा देने की सिफारिश करते हैं।
…ताकि पता चले वास्तविक हालात
इन्साकॉग के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में स्वास्थ्य मंत्रालय से कहा है कि जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिये कोरोना के नए स्वरूप की मौजूदगी का पता चलता है। देश में कुल 60 चिकित्सा संस्थानों की प्रयोगशाला में अभी बहुत कम सैंपल का जीनोम सीक्वेंस हो रहा है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि राज्यों को जीनोम सीक्वेंसिंग बढ़ाने के लिए निर्देश दिए जाएं, ताकि वास्तविक जमीनी स्थिति सामने आ सके। इन्साकॉग का मानना है कि अभी जेएन.1 उप स्वरूप के मामले जितने सामने आए हैं, आगामी दिनों में यह संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है। इसलिए जल्द से जल्द जीनोम सीक्वेंसिंग को गति देनी चाहिए।
राहत : 93 फीसदी मरीज घरों पर
एनसीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल सक्रिय मरीज 2,669 में से 45 मरीज 10 राज्यों के अस्पतालों में भर्ती हैं। इनमें आईसीयू, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन तीनों ही सपोर्ट वाले रोगी शामिल हैं। वहीं, 125 से ज्यादा मरीज अस्पतालों में बिना ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं, लेकिन इन्हें आईबी चढ़ाया जा रहा है। हालांकि, एक राहत यह भी है कि 92.80 फीसदी मरीज अपने घरों में आइसोलेशन पर हैं और लक्षणों के आधार पर इनकी निगरानी की जा रही है।
छह की मौत, 358 लोग मिले संक्रमित
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को बताया कि बीते दिन देश में कोरोना संक्रमण से छह लोगों की मौत हुई है। केरल में तीन, कर्नाटक में दो और पंजाब में एक मरीज ने दम तोड़ दिया। वहीं, बीते दिन 358 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं, जिसके चलते सक्रिय यानी उपचाराधीन मरीजों की संख्या 2,305 से बढ़कर 2,669 तक पहुंच गई है।
एहतियात बरतना जरूरी
चिकित्सा विशेषज्ञों से पता चला है कि सर्दियों में हमारा इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रमण जल्दी चपेट में लेता है। यह बात कोरोना और अन्य श्वसन संक्रमण सभी पर लागू होती है। कोरोना से हमें डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन एहतियात बरतना भी हमारे लिए आवश्यक है। – डॉ. मनसुख मांडविया, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री