भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की तस्वीर पूरी साफ हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल कर ली है। प्रदेश की जनता ने एक बार फिर बीजेपी पर विश्वास जताया है। राज्य की 230 विधानसभा सीटों में से BJP ने 163 और कांग्रेस ने 66 सीटों पर जीत दर्ज की। इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के 13 समर्थकों को टिकट दिया था। जिसमें 6 नेता ही जीतकर आए हैं।
सिंधिया गुट के 19 में 6 विधायक बचे
साल 2020 में सिंधिया समर्थक 19 विधायकों ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। इस बार विधानसभा के चुनाव में 19 में से 13 को ही टिकट मिला था। जिसमें 6 नेताओं ने जीत हासिल की। मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, बृजेंद्र यादव, गोविंद सिंह राजपूत, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, मनोज चौधरी ने जीत दर्ज की है।
इन 7 नेताओं को मिली हार
वहीं सिंधिया समर्थक सात नेताओं को हार मिली है। रघुराज कंसाना, कमलेश जाटव, इमरती देवी, सुरेश धाकड़, महेंद्र सिसोदिया, जसपाल सिंह जज्जी और राजवर्धन दत्तीगांव को विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
8 मंत्रियों में से 3 मंत्री हारे
एमपी विधानसभा के चुनाव में सिंधिया समर्थक 8 मंत्रियों को टिकट दिया गया था। जिसमें 5 ने जीत हासिल की है, वहीं तीन मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा। राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, महेंद्र सिंह सिसोदिया, सुरेश धाकड़ ये तीन मंत्री चुनाव हार गए।
इन्हें 7 नेताओं को नहीं मिला था टिकट
वहीं 2020 में उपचुनाव जीतने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने सिंधिया समर्थक 7 नेताओं को टिकट नहीं दिया। इनमें ओपीएस भदौरिया, मुन्नालाल गोयल, रक्षा सरोनिया, सुमित्रा देवी कास्डेकर, गिरिराज दंडोतिया, रणवीर जाटव, जसवंत जाटव का नाम शामिल है।