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भोपाल। प्रीतम लोधी ने बीजेपी से निष्कासन के बाद जिस तरह से खुद को टाइगर बताया, इस दहाड़ के पीछे का दम शायद लोधी वोट बैंक है. 2003 के विधानसभा चुनाव में उमा भारती ने जिसे अपनी सबसे बड़ी ताकत मान लिया था. लोधी वोट बैंक का सियासी पॉवर कितना है उससे ज्यादा जरूरी है इस हकीकत को जान लेना कि प्रीतम लोधी उमा भारती नहीं हैं. प्रीतम लोधी का लोधी वोट बैंक की ताकत दिखा कर मध्यप्रदेश के कद्दावर लोधी नेताओं के नक्शेकदम पर चलना उनका सियासी स्टंट हो सकता है बेशक, पर सवाल ये है कि क्या ये तमाशे बीजेपी की सेहत पर कोई असर डाल पाएंगे. हांलाकि, अब तक बीजेपी का मजबूत वोटर रहा लोधी समाज दावा कर रहा है कि 65 विधानसभा सीटों पर 2023 के चुनाव में बीजेपी को हराने का अभियान चलाएगा.
उमा ट्रैक पर प्रीतम प्यारे : प्रीतम लोधी के बयान से उठे बवाल के पूरे एपीसोड पर दि एंड करने में बीजेपी ने वक्त नहीं लगाया. लगा तो था कि बीजेपी लोधी वोट बैंक की फिक्र में सख्त निर्णय लेने में देर कर रही है. लेकिन, 2018 में भोगे हुए ज़ख्मों ने असर दिखाया और पार्टी ने बात बहुत बिगड़ने से पहले संभाल ली. माफी के बाद भी प्रीतम लोधी का बीजेपी से निष्कासन हो गया. लेकिन पार्टी से निकाले जाने के बाद प्रीतम लोधी ऐसे शहीद बनाकर सड़क पर आए कि जैसे लोधी समाज की सहानुभूति का सैलाब उनके साथ उमड़ आएगा. ये भूलकर कि लोधी वोट बैंक की वाजिब हकदार उमा भारती ने भी इस वोट बैंक के दम पर जनशक्त पार्टी बनाई थी. नतीजा ये कि 2008 के विधानसभा चुनाव में उमा टीकमगढ़ में अपनी साख नहीं बचा पाईं. फिर प्रीतम लोधी तो उमा भारती भी नहीं, और उनका कद भी प्रदेश में इस तरह का नहीं है कि पूरे प्रदेश की लोधी वोटर उनके साथ खड़ा दिखाई दे रहा हो. शक्तिप्रदर्शन में सियासी स्टंट में दम दिखाना और बात है और चुनावी ताकत बन पाना बिल्कुल अल्हैदा बात.
लोधी वोट में है कितना दम : अब सवाल ये है कि जिस लोधी वोट बैंक की ताकत पूर्व सीएम उमा भारती से लेकर प्रीतम लोधी तक बीजेपी में दिखाते रहे हैं. उस वोट बैंक की ताकत कितनी है. लोधी समाज के कार्यकारी अध्यक्ष महेश नरवरिया के मुताबिक प्रदेश में करीब नौ प्रतिशत के करीब लोधी वोट बैंक है. करीब 65 विधानसभा हैं प्रदेश की जिसमें ज्यादातर बुंदेलखंड इलाके में हैं, जहां इस वोटर के वोट से जीत हार तय होती है. बुंदेलखंड के बाद ग्वालियर चंबल इलाके में ये समाज सियासत तय करने की स्थिति में है. लोकसभा सीटों की बात करें तो 29 में से 13 लोकसभा सीटों पर लोधी वोटर निर्णायक है, जिनमें बालाघाट,सागर, खजुराहो, दमोह, विदिशा, होशंगाबाद प्रमुख हैं.
2023 में हिसाब बराबर करेगा लोधी समाज : पूर्व सीएम उमा भारती को हाशिए पर डाल दिये जाने के बाद से ही लोधी समाज बीजेपी में अपनी पकड़ ढीली कर चुका है. प्रीतम लोधी को इसका नया एपीसोड कहा जा सकता है. लोधी समाज के अध्यक्ष महेश नरवरिया कहते हैं- ” जो समाज बीजेपी के साथ खड़ा रहा बीजेपी ने उस समाज की सबसे मजबूत नेता उमा भारती को हाशिए पर डाला हुआ है. प्रदेश बीजेपी संगठन और सरकार में बताइएगा लोधी समाज की नुमाइंदगी कहां हैं. उस पर हमारे समाज के ही नेता को माफी मांगने के बावजूद जिस तरह से अपमानित किया पूरा समाज उनके साथ खड़ा है और तय है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में लोधी समाज अभियान चलाकर बीजेपी को हराएगा “.