नया दांव : यूरोपीय संघ करेगा पुतिन और लावरोव की संपत्तियां ‘फ्रीज’, इन देशों ने लगाई पाबंदियां

ब्रसेल्स: यूरोपीय संघ (EU)ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की संपत्तियों को जब्त करने तथा अन्य प्रतिबंध लगाने पर सहमति जताई है. लातविया के विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी. पुतिन और लावरोव की संपत्तियों को जब्त करने के निर्णय का अर्थ है कि पश्चिमी देश यूक्रेन पर रूस के हमले और यूरोप में एक बड़े युद्ध को रोकने के लिए अभूतपूर्व कदम उठाने की ओर बढ़ रहे हैं.

लातविया के विदेश मंत्री एड्गर्स रिनकेविक्स ने शुक्रवार को ट्वीट कर बताया कि ईयू के विदेश मंत्रियों ने प्रतिबंध लगाने के दूसरे पैकेज को मंजूरी दी है और जिन संपत्तियों को फ्रीज किया गया उनमें रूस के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की संपत्ति शामिल है. उन्होंने कहा कि ईयू प्रतिबंधों के अन्य पैकेज की भी तैयारी कर रहा है. रूस के आक्रमण के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवीय कोष में यूक्रेन के लिये दो करोड़ डॉलर और ईयू आर्थिक सहायता कोष में 1.5 अरब यूरो देने की योजना बनाई गई है. इसके अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, ताइवान और अन्य देशों ने रूस पर नए और कड़े प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है. साथ ही उन्होंने रूस की कार्रवाई की निंदा भी की है. यूरोपीय यूनियन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की संपत्तियां फ्रीज करने के निर्णय पर सहमति के बेहद करीब है. लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इस तरह के कदम से वे कितनी बुरी तरह प्रभावित होंगे. या फिर यह केवल प्रतीकात्मक होगा.

विश्व नेताओं ने रूस के खिलाफ दंडात्मक कदम उठाए, ईयू के निशाने पर पुतिन और लावरोव

पुतिन और लावरोव की संपत्ति को फ्रीज करने का निर्णय इंगित करता है कि पश्चिमी देश पुतिन को रूस के पड़ोसी देश यूक्रेन पर हमले और यूरोप में एक बड़े युद्ध को शुरू करने से रोकने के लिए अभूतपूर्व उपायों की ओर बढ़ रहे हैं. जर्मनी की विदेश मंत्री एनालेना बारबॉक कहा, “हम न केवल सत्ता पर काबिज लोगों को ही सूचीबद्ध नहीं कर रहे हैं, हमने पहले से ही इन कदमों को तैयार करने वाले कई सांसदों को सूचीबद्ध किया है. लेकिन अब हम राष्ट्रपति, पुतिन और विदेश मंत्री लावरोव को भी सूचीबद्ध कर रहे हैं.”

यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की शुक्रवार देर रात होने वाली बैठक में इस तरह के उपाय को लागू करने के लिए 27 सदस्य देशों को पूरी तरह से एकमत की आवश्यकता होगी. दरअसल, रूस ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया था, जिसपर विभिन्न देशों के नेताओं की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त किये जाने का सिलसिला अब भी जारी है. कई देशों ने रूस की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबियों समेत विभिन्न नेताओं को सबक सिखाने की बात कही है.

फ्रांस का रूस के खिलाफ कड़ा फैसला

फ्रांस के राष्ट्रपति एमेनुअल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस और उसके यूरोपीय सहयोगियों ने “मॉस्को पर बहुत गंभीर प्रहार करने” का फैसला किया है. इसके तहत रूसी लोगों पर और प्रतिबंध लगाने के अलावा वित्त, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों पर जुर्माना लगाना शामिल है. पाबंदियां लगाने से जुड़े कानूनी दस्तावेजों को अंतिम रूप देकर शुक्रवार को ही मंजूरी के लिये ईयू के विदेश मंत्रियों के पास भेजा जाएगा. मैक्रों ने यह भी कहा कि ईयू ने यूक्रेन को 1.5 अरब यूरो की ‘अभूतपूर्व’ आर्थिक मदद देने का निर्णय लिया है. इस बीच, रूसी नागरिक उड्डयन प्राधिकरण ने रूस आने जाने वाली ब्रिटेन की उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया. इससे पहले ब्रिटेन ने रूसी उड़ान कंपनी एयरोफ्लोत की उड़ानों पर पाबंदी लगा दी थी.

जापान नहीं करेगा बर्दाशत

इससे पहले, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को पत्रकारों से कहा, ‘जापान अपनी स्थिति स्पष्ट कर देना चाहता है कि हम स्थिति में बलपूर्वक बदलाव की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे.’ किशिदा ने इसके साथ ही नए दंडात्मक कदमों की भी घोषणा की, जिसमें रूसी समूहो, बैंकों और व्यक्तियों के वीजा और संपत्ति को फ्रीज किया जाना शामिल है. इसके अलावा उन्होंने रूसी सेना से जुड़े संगठनों को सेमीकंडक्टर और अन्य वस्तुएं भेजने पर रोक लगाने की भी घोषणा की. किशिदा ने कहा, ‘यूक्रेन पर रूस का आक्रमण बहुत ही गंभीर घटनाक्रम है, जिसका अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था पर प्रभाव पड़ेगा. इससे न केवल यूरोप बल्कि एशिया भी प्रभावित होगा.’ एशिया और प्रशांत क्षेत्र के देशों ने रूस के बैंकों और अग्रणी कंपनियों के खिलाफ नए दंडात्मक कदम उठाने के अमेरिका और 27 देशों के संगठन यूरोपीय यूनियन का समर्थन किया है.

न्यूजीलैंड ने पाबंदियां लागू करने की घोषणा की

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने कहा, ‘रूस के निर्णय से अनगिनत निर्दोष लोगों की जान जा सकती है.’उन्होंने रूसी अधिकारियों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने समेत विभिन्न पाबंदियां लागू करने की घोषणा की. संयुक्त राष्ट्र में अधिकारियों ने यूक्रेन में मानवीय अभियानों को गति देने के लिये 2 करोड़ डॉलर देने की घोषणा की है. दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की शुक्रवार को बैठक होने की उम्मीद है, जिसमें रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया जा सकता है और उससे तत्काल अपनी सेना वापस हटाने की मांग की जा सकती है. हालांकि, रूस इस प्रस्ताव पर वीटो कर सकता है.

क्या कहते हैं संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के प्रमुख

संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष को दी जाने वाली 2 करोड़ डॉलर की धनराशि से यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में दोनेत्स्क और लुहांस्क व अन्य हिस्सों में आपात अभियानों में मदद मिलेगी. इसके तहत संकट से प्रभावित अति संवेदनशील लोगों के लिये स्वास्थ्य देखभाल, आश्रय, भोजन, जल आदि की व्यवस्था की जाएगी. हालांकि पश्चिमी देशों और उनके सहयोगियों ने यूक्रेन में सैनिक भेजने और यूरोपीय महाद्वीप में व्यापक युद्ध छिड़ने के खतरे के बारे में कोई बात नहीं कही है. हालांकि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) ने एक बार फिर पूर्वी यूरोप के अपने सदस्य देशों को हमले की आशंका के बीच सतर्क रहने की हिदायत दी है.

द.कोरिया ने पांबदियों का समर्थन किया

जापान की तरह ही अमेरिका का एक और मजबूत सहयोगी दक्षिण कोरिया अधिक सतर्कता बरत रहा है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे-इन ने कहा कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का समर्थन करेगा, लेकिन एकतरफा प्रतिबंधों पर विचार नहीं करेगा. दक्षिण कोरिया ने इसलिये सतर्क रुख अपनाया है क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर है. उसे इस बात की भी चिंता है कि रूस के साथ संबंध तनावपूर्ण होने पर उत्तर कोरिया के परमाणु संकट के समाधान के प्रयास भी कमजोर पड़ जाएंगे.

रूस दक्षिण कोरिया का 10वां सबसे बड़ा व्यापार साझेदार माना जाता है. उधर, ताइवान ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने का समर्थक है. हालांकि उसने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये प्रतिबंध किस प्रकार के होंगे. एक ओर जहां एशिया के अधिकतर देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया है, तो दूसरी ओर चीन ने रूस पर प्रतिबंध लगाने की निंदा की है. चीन ने अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर रूस को उकसाने का आरोप लगाया है. एशिया में अमेरिका की ताकत को लेकर चिंतित चीन की विदेश नीति रूस की ओर झुकाव रखती है ताकि पश्चिमी देशों को चुनौती दी जा सके.

क्या कहा ऑस्ट्रेलिया ने, जानें

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, ‘ऐसे समय में जब ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, यूरोप और जापान मिलकर रूस को रोकने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं चीन की सरकार रूस को व्यापार पाबंदियों में ढील देने की बात कह रही है. यह पूरी तरह अस्वीकार्य है.’ मॉरिसन ने ‘द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की एक खबर का जिक्र करते हुए कहा, ‘आप ऐसे समय में रूस को जीवनदान देने की बात नहीं कर सकते जब वह किसी दूसरे देश पर आक्रमण कर रहा हो.”द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर में कहा गया है कि चीन ने घोषणा की है कि वह रूसी गेहूं के आयात के लिए पूरी तरह से तैयार है.

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