मकर संक्रांति का त्योहार 14 या 15 जनवरी को ? जानें इस तिथि पर दान और स्नान का महत्व

धर्म-कर्म-आस्था

सभी 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का विशेष महत्व होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्यदेव हर एक माह बाद अपनी राशि बदलते रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति पर दान,स्नान, पूजा-पाठ और जप-तप करने का विशेष महत्व होता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ सूर्य उत्तरायण होना शुरू हो जाते हैं। इसलिए ही इस दिन को उत्तरायण भी कहते हैं। इस दिन से देश में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं। शीत ऋतु का प्रभाव कम होने लगता है और वसंत ऋतु का आगमन शुरू हो जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति का त्योहार कब है? क्या यह 14 जनवरी को मनाया जाएगा या 15 जनवरी को इस बारे में जानते है विस्तार से….

मकर संक्रांति 2022 की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति का पर्व पौष शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि पर है। 14 जनवरी, शुक्रवार की रात्रि को 08 बजकर 49 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल अगले दिन यानी 15 जनवरी, शनिवार की दोपहर 12 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। ऐसे में दान,स्नान और ध्यान करने के लिए 15 जनवरी, शनिवार के दिन मकर संक्रांति मनाई जाएगी। 14 जनवरी की रात को संक्रांति शुरू हो जाने के कारण पुण्य काल में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाएगा। मकर संक्रांति को कई स्थानों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। इस दिन को खिचड़ी का त्योहार भी कहते हैं।

मकर संक्रांति का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन देवता का दिन आरंभ हो जाता है। देवता का दिन 6 माह के लिए प्रारंभ हो जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने को देवताओं का दिन कहा जाता है। मकर संक्रांति पर सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं। इस नदी पवित्र नदियों में स्नान करने और उसके बाद दान करने का महत्व होता है। साल में 12 संक्रांतियां पड़ती हैं, लेकिन इनमें से मकर संक्रांति का विशेष महत्व है।

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