
इंदौर ।
वर्ष की दूसरी शनिश्चरी अमावस्या 10 जुलाई को होगी। इस मौके पर शनि आराधना के लिए शनि मंदिरों में भक्तों का तांता लगेगा। ढैय्या और साढ़े साती से मुक्ति के लिए तिल-तेल से भगवान शनि का अभिषेक होगा। लाकडाउन के बाद एक बार फिर खुले मंदिरों में कोरोना प्रोटोकाल के पालन के साथ विभिन्न हवन और अनुष्ठान होंगे। ज्योर्तिविद् विनित शर्मा के मुताबिक अमावस्या तिथि की शुरुआत नौ जुलाई शुक्रवार सुबह 5.53 बजे होगी जो अगले दिन 10 जुलाई शनिवार को सुबह 6.58 बजे तक रहेगी। पहले दिन अमावस्या पितृ कार्य की जबकि अगले दिन 10 जुलाई को देव कार्य के निमित रहेगी। इस दिन अमावस्या सूर्योदय के बाद एक घंटा चार मिनट रहने से शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है, जिसका विशेष महत्व है। इस दिन छत्र नामक योग भी रहेगा।
उज्जैन के नवगृह मंदिर में पूजा अर्चना का विशेष महत्व है। वर्ष की पहली शनिश्चरी अमावस्या 13 मार्च को थी जबकि तीसरी और अंतिम शनिश्चरी अमावस्या चार दिसंबर को होगी। आचार्य शिवप्रसाद तिवारी के अनुसार शनिवार को आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। इस दिन शनि से पीड़ित व्यक्तियों के लिए दान का महत्व बढ़ जाता है। शनि से प्रभावित व्यक्ति को कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस दिन शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करना लाभप्रद बताया गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में शनि का कुप्रभाव हो उन्हें शनिदेव के पैरों की तरफ देखना चाहिए।