सुप्रीम कोर्ट में इस साल तीसरी बार अवकाश के दिन हुई सुनवाई

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सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की साझा याचिका पर रविवार को हुई सुनवाई अवकाश के दिन विशेष सुनवाई का तीसरा मामला बन गया। तीनों ने शनिवार को ही महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को सीएम के तौर पर शपथ दिलाने के निर्णय को रद्द करने की साझा प्रार्थना की थी।साथ ही जल्द से जल्द शक्ति परीक्षण करवाने का निवेदन किया था ताकि विधायकों की खरीद-फरोख्त रोकी जा सके। सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने शनिवार को ही सुनवाई का दिन तय कर दिया था।

इसी साल के पहले दो मामले

9 नवंबर- सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि-अयोध्या विवाद पर शनिवार को अपना ऐतिहासिक निर्णय सुनाया और समस्त 2.77 एकड़ भूमि रामलला की मानी। इस दिन भी शनिवार था।
20 अप्रैल- शनिवार को हुई इस विशेष सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर कोर्ट की ही पूर्व महिला कर्मचारी द्वारा लगाए यौन शोषण के आरोपों के मामले में सुनवाई हुई थी।

मध्य रात्रि में चली सुनवाई

– मई 2018 में भी सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका पर कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा भाजपा को सरकार बनाने का आमंत्रण देने के मामले को सुना।
– 29 जुलाई 2015 में याकूब मेमन को फांसी की सजा रुकवाने के लिए दायर याचिका पर मध्यरात्रि में सुनवाई हुई। 1993 के मुंबई बम धमाकों के आरोपी याकूब को अगली सुबह छह बजे फांसी होनी थी।
– 1998 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में विश्वास मत साबित करने को लेकर दायर याचिका पर मध्यरात्रि में सुनवाई हुई। इसमें तय होना था कि कल्याण सिंह और जगदम्बिका पाल में से किसके पास बहुमत है।

– 1985 में फेरा कानून में आरोपी उद्यमी एमएल थापर की जमानत के लिए चीफ जस्टिस ईएस वेंकटरमैया को आधी रात में जगाया गया था। थापर को आरबीआई की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था, उन्हें दी गई जमानत के आदेश पर काफी प्रश्न उठाए गए थे।

– अयोध्या में राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद छह व सात दिसंबर 1992 की रात जस्टिस एमएन वेंकटचलैया के आवास पर सुनवाई चली। ढांचा गिराए जाने के बाद एक पक्ष ने कोर्ट की शरण ली थी। जस्टिस वेंकटचलैया ने यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए थे।

– रंगा-बिल्ला मामले में भी फांसी रोकने के लिए दायर याचिका को मध्यरात्रि को चीफ जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में बनी पीठ ने सुना था। 

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