परमधर्म संसद का फैसला- राम मंदिर के लिए बसंत पंचमी से अयोध्या कूच

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प्रयागराज.  : कुंभ में बुधवार को परमधर्म संसद के आखिरी दिन यह फैसला किया गया कि 21 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिलान्यास किया जाएगा। इससे पहले 10 फरवरी को बसंत पंचमी से साधु-संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। इस फैसले से जुड़े धर्मादेश पर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने दस्तखत किए। उनकी अध्यक्षता में ही तीन दिन परमधर्म संसद हुई।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा, ‘‘मंदिर तोड़ने वाली सरकार राम मंदिर का निर्माण नहीं करा सकती। इसलिए हम 21 फरवरी को अयोध्या में भगवान राम के भव्य राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे। बसंत पंचमी (10 फरवरी) के बाद हम संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे। इसके लिए हमें गोली भी खानी पड़े, तो पीछे नहीं हटेंगे। जिस तरह सिखों के गुरु गोविंद सिंह ने देश के करोड़ों हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करते हुए अपना बलिदान दिया था, ठीक उसी तरह महाराजश्री जगदगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी किया है। सबसे आगे महाराजश्री चलेंगे।’’ 

विश्व हिंदू परिषद भी कराएगी धर्म संसद
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘‘जिस तरह गली-गली शंकराचार्य हो गए हैं, उसी तरह गली-गली धर्मसंसद हो रही है। यह अब नहीं चलेगा। धर्मसंसद करने का अधिकार शंकराचार्य का है। सनातन धर्मी लोगों का नेतृत्व आरएसएस नहीं करेगा। शंकराचार्य हमारे नेता हैं। हम सनातनधर्मी अपने गुरुओं के चरण में अपना सिर रखते हैं।’’

उन्होंने कहा कि हम किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहे। चार शिलाओं को उठाने के लिए चार लोग चाहिए। चार लोगों के चलने से कोई कानून नहीं टूटता। जिस तरह अंग्रेजों का नमक का कानून तोड़ने के लिए दांडी मार्च किया गया था, उसी तरह शंकराचार्य ने रास्ता दिखाया है। उनके नेतृत्व में चार लोग राम मंदिर निर्माण के लिए घरों से निकलेंगे। हम भगवान राम के नाम पर मार भी सहेंगे, क्योंकि वह भगवान का प्रसाद होगा।

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की
लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने मंगलवार को अयोध्या मामले में बड़ा कदम उठाया था। उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर मांग की कि अयोध्या की गैर-विवादित जमीनें उनके मूल मालिकों को लौटा दी जाएं। 1991 से 1993 के बीच केंद्र की तत्कालीन पीवी नरसिम्हा राव सरकार ने विवादित स्थल और उसके आसपास की करीब 67.703 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में इस पर यथास्थिति बरकरार रखने के निर्देश दिए थे।

2.77 एकड़ परिसर के अंदर है विवादित जमीन
अयोध्या में 2.77 एकड़ परिसर में राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद का विवाद है। इसी परिसर में 0.313 एकड़ का वह हिस्सा है, जिस पर विवादित ढांचा मौजूद था और जिसे 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। रामलला अभी इसी 0.313 एकड़ जमीन के एक हिस्से में विराजमान हैं। केंद्र की अर्जी पर भाजपा और सरकार का कहना है कि हम विवादित जमीन को छू भी नहीं रहे।

  • परमधर्म संसद ने आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद की भूमिका की भी आलोचना की
  • स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज ने कहा- सनातन धर्मी लोगों का नेतृत्व आरएसएस नहीं करेगा
  • उन्होंने कहा- भगवान राम के लिए हमें गोली भी खानी पड़े तो पीछे नहीं हटेंगे

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