ओलम्पिक में क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय पहलवान विनेश फोगाट

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एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता भारतीय महिला पहलवान विनेश फोगाट विगत 18 सितम्बर को विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीतकर 2020 में आयोजित होने वाले टोक्यो ओलम्पिक के लिए कोटा हासिल करने में सफल हो गई और इस प्रकार उन्हें टोक्यो ओलम्पिक के लिए कोटा हासिल करने वाली पहली भारतीय पहलवान बनने का गौरव भी हासिल हुआ। विनेश ने 53 किलोग्राम भार वर्ग में विश्व चैम्पियनशिप के रेपचेज कांस्य पदक मुकाबले में दो बार की विश्व कांस्य पदक विजेता मिस्र की मारिया प्रेवोलार्की को 4-1 से हराकर कांस्य पदक जीता। हालांकि वह राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अब तक तीन दर्ज से ज्यादा पदक जीत चुकी हैं लेकिन किसी भी विश्व चैम्पियनशिप में यह उनका पहला पदक है। राष्ट्रमंडल खेलों की पदक विजेता विनेश ने इससे पहले रेपेचेज राउंड-1 मुकाबले में यूक्रेन की यूलिया ब्लाहिन्या को 5-0 से एकतरफा शिकस्त दी थी और रेपेचेज राउंड-2 मुकाबले में विश्व चैम्पियनशिप की रजत पदकधारी पहलवान अमेरिका की सारा हिल्डेब्रैंट को 8-2 से हराकर कांस्य पदक मुकाबले में जगह बनाई थी और टोक्यो ओलम्पिक के लिए अपना टिकट पक्का कर लिया था।
विनेश ने 17 सितम्बर को इस चैम्पियनशिप में रियो ओलम्पिक की पदक विजेता स्वीडन की सोफिया मैटसन को 13-0 के बड़े अंतर से शिकस्त देते हुए अपने अभियान की अच्छी शुरूआत की थी किन्तु प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में वह विश्व की नंबर दो खिलाड़ी जापान की मायु मुकाइदा से 0-7 से पराजित होकर विश्व चैम्पियनशिप में खिताब की दौड़ से बाहर हो गई थी लेकिन भाग्य ने उनका साथ दिया और रेपेचेज राउंड के तहत वह पदक जीतकर ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने में भी सफल हुई। वैसे इससे पहले एशियाई चैम्पियनशिप में भी मुकाइदा से ही उन्हें शिकस्त मिली थी।
हरियाणा में भिवानी की 25 वर्षीया पहलवान विनेश फोगाट ने राष्ट्रमंडल और एशियाई खेलों में तो खिताब जीते ही थे और तीन बार विश्व चैम्पियनशिप खेल चुकी विनेश अब विश्व चैम्पियनशिप में भी पदक जीतने में सफल रही हैं। इससे पहले इसी साल 5 अगस्त को भी विनेश ने वारसा में पोलैंड ओपन कुश्ती टूर्नामेंट में महिलाओं के 53 किलोग्राम भार वर्ग में स्थानीय पहलवान रूकसाना और रियो ओलम्पिक की कांस्य पदक विजेता स्वीडन की सोफिया मैटसन को हराकर स्वर्ण पदक जीता था। यही नहीं, उस समय एक माह के भीतर वह उनका लगातार तीसरा स्वर्ण पदक था। उसी एक माह के भीतर उन्होंने स्पेन में ग्रां प्री और तुर्की के इस्ताम्बुल में यासर दोगु अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी स्वर्ण पदक जीते थे।
2016 के रियो ओलम्पिक के दौरान चोटिल हो जाने के बाद विनेश ने पिछले ही वर्ष रेसलिंग में शानदार वापसी करते हुए दो बड़े मुकाबलों में स्वर्ण पदक जीतकर भारत का बहुत मान-सम्मान बढ़ाया था और तब से वह महिला रेसलिंग में लगातार स्वर्णिम इतिहास रच रही हैं। विनेश ने पहली बार वर्ष 2013 की एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया था और 51 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक हासिल कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। हंगरी में कड़ा प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वह गत वर्ष स्पैनिश ग्रैंड प्रिक्स भी जीत चुकी हैं। पिछले साल पैर में दर्द की समस्या के बावजूद एशियाई खेलों में 50 किलो फ्रीस्टाइल कुश्ती वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने स्वर्णिम इतिहास रचा था और एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान भी बन गई थी। अगस्त 2018 में एशियाई खेलों के फाइनल मुकाबले के दिन विनेश पैर में दर्द की समस्या से जूझ रही थी, फिर भी उन्होंने अपनी विरोधी रेसलर जापान की इरी युकी को 6-2 से मात देते हुए गोल्ड पर कब्जा किया था और इस प्रकार एशियाई खेलों में लगातार दो बार पदक जीतने वाली वह पहली महिला पहलवान बनी थी। उन्होंने वह करिश्मा कर दिखाया था, जो उनसे पहले कुश्ती में देश की कोई भी महिला खिलाड़ी नहीं कर पाई थी। 2014 के एशियाई खेलों में विनेश ने कांस्य पदक जीता था।
एशियाई खेलों के अलावा राष्ट्रमंडल खेलों में भी स्वर्ण जीतने वाली विनेश पहली भारतीय पहलवान है। वह 2014 और 2018 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण तथा 2017 व 2018 की एशियन चैम्पियनशिप में रजत पदक जीत चुकी है। 2014 के ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल में स्वर्ण पदक जीतकर विनेश ने पूरी दुनिया को अपनी काबिलियत का परिचय दिया था। अगस्त 2016 में रियो ओलम्पिक के दौरान भी उनसे देश को काफी उम्मीदें थी किन्तु स्पर्धा के दौरान गंभीर चोट लगने के कारण वह ओलम्पिक से बाहर हो गई थी और उसके भविष्य पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया था। चोटिल होने के कारण वह एक साल से भी ज्यादा समय तक अखाड़े से दूर रही लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अखाड़े से लंबी अवधि की दूरी के बाद जब मैदान में वापसी की तो एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर ही दम लिया। हालांकि मैदान पर वापसी में विनेश को लंबा समय लगा किन्तु गत वर्ष एशियाई खेलों में विनेश के लिए सबसे सुखद अहसास यही रहा था कि चीन की जिस पहलवान सुन यानान की वजह से उन्हें ओलम्पिक में चोट लगी थी, उसी पहलवान को शुरूआती मुकाबले में ही 8-2 से धूल चटाकर विनेश ने शानदार जीत हासिल की। उसके बाद क्वार्टर फाइनल में साउथ कोरिया की किम ह्युंगजू और सेमीफाइनल में उज्बेकिस्तान की याक्षिमुरतोवा को परास्त कर फाइनल में जापान की युकी इरी को 6-2 से मात देते हुए गोल्ड अपने नाम कर विनेश रेसलिंग में भारत की सनसनी गर्ल बन गई थी।
25 अगस्त 1994 को हरियाणा के चरखीदादरी जिले के बलाली गांव में जन्मी विनेश बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान की सुपरहिट फिल्म ‘दंगल’ से चर्चित हुई गीता और बबीता फोगाट की चचेरी बहन है। विनेश ने 10 वर्ष की अल्पायु में ही अपने पिता राजपाल को खो दिया था, जिनकी एक जमीन विवाद में हत्या कर दी गई थी। पिता के देहांत के बाद उनका परिवार बहुत सीमित संसाधनों में जीवन-यापन करने को मजबूर हो गया था। उस दौरान वरिष्ठ ओलम्पिक कोच अपने ताऊ महावीर फोगाट की बेटियों गीता और बबीता को देखकर विनेश को भी अखाड़े में जोर आजमाइश करने की प्रेरणा मिली। उनके ताऊ महावीर फोगाट ने ही उन्हें भी पहलवानी के गुर सिखाए। यही वजह है कि वह अपने ताऊ को ईश्वर का अवतार मानती हैं। पांचवीं कक्षा से ही विनेश ने अपने ताऊ के मार्गदर्शन में मैट पर प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। महावीर ने अपनी दोनों बेटियों गीता और बबीता के साथ विनेश और उनकी बहन प्रियंका को भी अपने घर में ही अखाड़ा बनाकर ट्रेनिंग देना शुरू किया था और अब उसी जगह पर उन्होंने एक प्रोफैशनल रेसलिंग हॉल बना दिया है। विनेश पिछले काफी समय से कहती रही हैं कि उनका अगला लक्ष्य ओलम्पिक में पदक जीतना है और अब टोक्यो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई करने के बाद ओलम्पिक में भी उनसे उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं। वह कहती हैं कि ओलम्पिक खेलों में हमारी भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ रही है और भारत में अब महिला कुश्ती में भी तेजी से बदलाव आ रहा है। विनेश कहती है कि अगर आप ओलम्पिक में खेलने जाते हैं तो पूरा देश आपसे पदक की उम्मीदें बांधनी शुरू कर देता है, इसलिए उसका पूरा प्रयास करेगा कि देश उसके प्रदर्शन से निराश न हो। उम्मीद की जानी चाहिए कि ओलम्पिक में भी विनेश का बेहतरीन प्रदर्शन देखने को मिलेगा और वह भारत को ओलम्पिक विजेता बनाने में सफल होंगी।

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