भोपाल: हाईवे पर जानवरों के अचानक सड़क पर आ जाने से होने वाले एक्सीडेंट को रोकने और प्रदूषण नियंत्रण के लिए वाॅटर एंड लैंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (वाल्मी) हाईव किनारे लाइव (ग्रीन) फेंसिंग करेगा। यह देश में पहला कॉन्सेप्ट होगा, जिस पर वाल्मी ने प्रपोजल तैयार कर नेशनल हाईवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) को दिया है।
पूरी तरह प्राकृतिक रूप से तैयार की जाने वाली लाइव या ग्रीन फेंसिंग के माध्यम से सड़क के आसपास के क्षेत्र में तापमान में भी कमी आएगी। इस कॉन्सेप्ट में हाईवे के किनारे 5 मीटर की दूरी पर लाइव फेंसिंग तैयार की जाएगी। इसकी चौड़ाई 2 से 3 मीटर तक हो सकती है। इसकी खासियत यह है कि यह इतनी घनी होगी कि इसे क्रॉस कर जानवर सड़क पर नहीं आ सकेंगे।
जिस रोड पर फेंसिंग होगी, वहां एयर पॉल्यूशन इंडेक्स देखेंगे
जिस रोड पर लाइव फेंसिंग की जाएगी, वहां का एयर पॉल्यूशन इंडेक्स (एपीआई) भी देखा जाएगा। इसके केलकुशन के बाद कार्बन क्रेडिट के तहत पौधे रोपे जाएंगे। इसकी खासियत यह है कि ग्रीन फेंसिंग की लंबाई कितनी भी रखी जा सकती है। जगह के हिसाब से इसकी लंबाई तय की जाएगी। वाल्मी ने इस तरह की टेक्निक का उपयोग कम समय में वन लगाने के लिए किया है। एनएच के साथ स्टेट हाईवे पर भी इसे लगाए जाने की योजना है।
पास-पास रोपेंगे पौधे- 60 सेमी की दूरी पर ऊंचे और घने होने वाले पौधे लगाए जाएंगे
वाल्मी के अधिकारियाें के मुताबिक आमतौर पर दो पौधों के बीच की दूरी 5 मीटर रखी जाती है, लेकिन लाइव फेंसिंग टेक्निक में इसकी दूरी केवल 60 सेमी होगी। पौधे पास-पास रोपे जाएंगे। इसमें 4 तरह से प्लांटेशन होता है। कुछ पौधे ऐसे होते है जो कैनोपी बनाते हैं। यह सबसे ऊंचे होते हैं और घने होते हैं। इन्हीं के साथ कॉम्बिनेशन में 40 से 60 फीट तक की हाइट, फिर 20 से 40 फीट तक की हाइट और 20 फीट से कम ऊंची झाड़ी या पाधै लगाए जाते हैं। ग्रीन फेंसिंग की चौड़ाई दो मीटर रखी जाती है।
इस तकनीक से सड़क की सुंदरता भी बढ़ेगी
रोड साइड होने वाले प्लांटेशन की जगह लाइव फेंसिंग के लिए एनएचएआई को प्रपोजल दिया है। इससे जानवर सड़क पर नहीं आ पाएंगे और सड़क की सुंदरता भी बढ़ेगी। इसमें विभिन्न तरह की ऊंचाई वाले पौधों का चयन किया जाता है, जो तेजी से बढ़ते हैं। अब तक इस टेक्निक पर कहीं भी काम नहीं हुआ है।
डॉ. रवींद्र ठाकुर, एचओडी एग्रीकल्चर, वाल्मी