मध्य प्रदेश के पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कहा कि वे तो सीमांकन के लिए अदालत में गए थे। मगर सरकारी वकील सुप्रीम कोर्ट को उनके जजमेंट पर किए सवाल का जवाब नहीं दे पाए और फैसले में अदालत की नाराजगी की झलक दिखाई दी।
वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए भोपाल में रविवार को यह बात कही। तन्खा ने खुद को ओबीसी का रक्षक बताया और कहा कि वे उन्हें पीएससी में उनका हक दिलाने के लिए लड़े थे और तीन घंटे तक अदालत में बहस की थी। इसके बाद अदालत ने पीएससी को परीक्षा रद्द कर ओबीसी रिजर्वेशन के मुताबिक पदों की गणना कर दोबारा परीक्षा कराने के आदेश दिए थे। पंचायत चुनाव के लिए भी वे ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अदालत नहीं गए थे बल्कि सीमांकन के लिए गए थे। सरकारी वकील जब अदालत को जवाब नहीं दे पाए तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले में उसकी नाराजगी झलकी।
राज्यसभा से जनता, समाज, प्रोफेशन की सेवा की और करेंगे
राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने कांग्रेस द्वारा दूसरी बार मौका दिए जाने पर कहा कि वे राज्यसभा में जाकर जनता, अपने समाज और प्रोफेशन की सेवा करते हैं। यह पद नहीं बल्कि जिम्मेदारी है जिसको उन्होंने छह साल बखूबी निभाया है। तन्खा ने भाजपा को प्रदेश के लिए हानिकारक बताया और कहा कि इसके लिए वे अपनी तरफ से 2023 में पूरी मेहनत करेंगे।