ज्योतिष के अनुसार हर ग्रह का किसी न किसी धातु पर आधिपत्य होता है। लेकिन यह जरूरी नहीं कि हर धातु हर जातक के लिए सही हो। कोई धातु किसी जातक के लिए अत्यंत शुभ होती है तो वही धातु किसी जातक के लिए अत्यंत अशुभ भी होती है। इसी कारण से कहा जाता है कि व्यक्ति को अपनी कुंडली में ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही किसी भी धातु को धारण करना चाहिए ताकि उस व्यक्ति को उसके अनुकूल प्रभाव मिले और जीवन में आने वाली समस्याएं दूर हो जाए।
ज्योतिष में चांदी को सबसे शुद्ध धातु माना गया है। इसी कारण से इस धातु का पूजा के बर्तन, नेवेद्य पात्र आदि में उपयोग किया जाता है। चांदी का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा मन का कारक ग्रह माना गया है। महिलायें पैर में चांदी की पायल एवं बिछिया पहनती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं को पायल और बिछिया पहनने की सलाह क्यों दी जाती है और इससे क्या क्या फायदे होते हैं। आज हम आपको इसी से जुड़ें कुछ ज़रूरी बातें बताएंगे
चांदी एक ऐसी धातु है जिसका जिक्र आयुर्वेद के ग्रंथों में भी मिलता है। यह एक ऐसी धातु है जिसके उपयोग से तन और मन दोनों को स्वस्थ्य रखा जा सकता है। चांदी से बने बर्तन में नियमित पानी पीने से शारीरिक के साथ साथ मानसिक तंदुरुस्ती भी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं चांदी मनुष्य की प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत कर लंबी आयु प्रदान करती है।
चांदी एक ऐसी धातु है जिसका संबंध चंद्र और शुक्र ग्रह दोनों से ही है। चंद्र ग्रह मन का कारक ग्रह है और शुक्र ग्रह ऐश्वर्या और धन का कारक ग्रह है। आपको बता दें महिला जातक की कुंडली में चंद्र, शुक्र और बृहस्पति तीनों ही ग्रहों की बहुत उपयोगिता है। यह एक ऐसी धातु है जिसके उपयोग से सौभाग्य में वृद्धि आती है। इसी कारण से महिलाएं चांदी की पायल और बिछिया पहनती हैं ताकि उनके जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।
यह देखा गया है कि महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा आत्मविश्वासी और कला एवं सौंदर्य के क्षेत्र में आगे होती है। इसके पीछे भी चांदी एक बड़ा कारण है। महिलाएं अपने आभूषण में चांदी का उपयोग करते हैं जिससे महिलाओं का मन और मस्तिष्क मजबूत होता है और साथ ही शुक्र ग्रह बलवान होता है जिसके कारण उनके आत्मविश्वास कला और सौंदर्य में वृद्धि होती है।
चांदी के भिन्न भिन्न आभूषणों के शरीर के भिन्न भिन्न अंगों पर प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं की किस आभूषण का महिलाओं के किस अंग पर प्रभाव पड़ता है। सबसे पहले बात करें चांदी की बिछिया की तो आपको बता दें महिलाएं चांदी की बिछिया पैरों की कुछ निश्चित उंगलियों में पहनती है कहते है जिन उंगलियों में महिलाएं चांदी की बिछिया पहनती हैं उनका सीधा संबंध गर्भाशय और दिल से होता है। चांदी की बिछिया उंगलियों में पहनने के कारण महिलाओं को गर्भ धारण करने में आसानी होती है और साथ ही मासिक धर्म भी सही रहता है। पैर शरीर का वह अंग है जिससे सबसे ज्यादा ऊर्जा का संचार होता है इसलिए चांदी के आभूषण पैर में पहने जाते हैं क्योंकि चांदी जमीन से ऊर्जा ग्रहण करती है और पूरे शरीर तक पहुंचाती है।
महिलाएं पूरे घर की बाग डोर संभालती हैं ऐसे में वह अपने ऊपर ध्यान नहीं देती है। इसी कारण से महिलाओं को चांदी की पायल पहनने की सलाह दी जाती है क्योंकि चांदी की पायल पहनने से शारीरिक दर्द दूर होते हैं। महिलाएं पूरे परिवार के खान पान का ध्यान रखती हैं परंतु अपने खानपान का ध्यान ज़रा भी नहीं रखती है। ऐसे में उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियां हो जाती है जिसमें की हड्डियों का रोग सबसे प्रमुख हैं, ऐसे में चांदी की पायल बहुत ही उपयोगी साबित होती है यह महिलाओं की पैरों की हड्डियों को तो मजबूत करती ही है साथ ही उनके शरीर की बनावट को भी नियंत्रित करती है।
आपने देखा होगा की कई महिलाएं चांदी की लौंग पहनती है वह ऐसा इसलिए करती है ताकि वह श्वास संबंधी रोगों से दूर रहे। कहते हैं की नाक में चांदी की लौंग पहनने से सांस नियंत्रित रहती है और साथ ही गुरु से संबंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
राहु और केतू दोनों ही अशुभ ग्रह माने जाते हैं। लेकिन महिलाओं के पास उनकी समस्याओं का भी समाधान है। कान में चांदी की बाली पहनने से राहु और केतू से संबंधित जो भी समस्याएं होती हैं सभी का समाधान होता है।
महिलाओं पर माता लक्ष्मी की भी असीम कृपा रहती है। महिलाएं चांदी के आभूषण धारण करती है और चांदी माता लक्ष्मी की प्रिय धातु है। माँ लक्ष्मी के रजत लक्ष्मी स्वरूप की पूजा भी चांदी से ही जुड़ी है। इसी कारण से महिलाओं को माँ लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।