शनिवार को इंदौर की जरूरत का पानी बरस गया। सुबह से शुरू हुई बारिश रात साढ़े आठ बजे तक 2 इंच (51 मिमी) रिकॉर्ड हुई। इसे मिलाकर 35 इंच पानी बरस गया। पिछले साल की तरह इस बार भी जरूरत से बहुत ज्यादा पानी गिरने के आसार हैं। इस वक्त औसत 32 फीसदी ज्यादा पानी गिर चुका है। सितंबर में भी अच्छी बारिश के आसार हैं।
बंगाल की खाड़ी में बना सिस्टम मप्र में कैसे करा रहा बारिश, वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक एके शुक्ला से सवाल-जवाब
ये सिस्टम कब और कहां बनता है ?
यह सिस्टम सामान्य ताैर पर बंगाल की खाड़ी में बनता है। जब साइक्लाेन या काेई सिस्टम कमजाेर हाेकर प्रशांत महासागर से बंगाल की खाड़ी में आता है ताे वहां यह तीव्र हाेता है, फिर यह लाे प्रेशर एरिया के रूप में बदल जाता है। कभी-कभी यह बंगाल की खाड़ी में हवा के ऊपरी भाग में चक्रवात बनकर आ जाता है।
मप्र में कैसे पहुंचा यह सिस्टम?
ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ होता हुआ पूर्वी मध्य प्रदेश आया। फिर सीधी पहुंचा, इसके बाद शनिवार काे टीकमगढ़ के आसपास रहा। इसका सेंट्रल एमपी यानी भाेपाल, हाेशंगाबाद और जबलपुर संभागाें में ज्यादा असर हुआ। इसी से हाेशंगाबाद, छिंदवाड़ा में बाढ़ के हालात बने। भोपाल, सीहोर में देर रात तक लगातार बारिश होती रही।
यह कहां-कितनी बारिश कराता है?
जब पूर्वी मध्य प्रदेश में रीवा से लेकर जबलपुर तक जहां प्रवेश करेगा उस स्थान पर यह निर्भर करेगा कि बारिश कहां और कितनी हाेगी। जहां कम दबाव का क्षेत्र बनता है वहां से लगभग 200 से 400 किमी के बीच दक्षिण पश्चिम दिशा में सबसे ज्यादा बारिश हाेती है।