उप्र के 12 जिलों में बढ़ रहा बाढ़ का प्रकोप, 24 घंटे में 11 और गांव बने टापू

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लखनऊ. तराई और पूर्वाचल (Purvanchal) के जिलों में बाढ़ (Flood) का प्रकोप और भयावह होता जा रहा है. पिछले 24 घंटे में 11 और गांव पानी के सैलाब में टापू बन गए. ताजा आंकड़ों के मुताबिक कुल 78 गांव जलभराव से पूरी तरह अलग थलग पड़ गए हैं. शुक्रवार को ऐसे गांवों की संख्या 67 थी. राहत विभाग के मुताबिक प्रदेश के कुल 12 जिले बाढ़ की मार झेल रहे हैं. इनमें बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुरखीरी, आजमगढ, गोंडा, संत कबीर नगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर शामिल है.

इन सभी जिलों से होकर बहने वाली नदियां अभी भी खतरे के निशान से ऊपर ही चल रही हैं. शारदा,राप्ती और सरजू विभिन्न बांधों पर खतरे के निशान से ऊपर चल रही है. बाढ़ के मामलों को देख रहे सिंचाई विभाग में इंजीनियर इन चीफ (डिज़ाइन एंड प्लानिंग) अरविंद सिंह ने बताया कि एल्गिन ब्रिज पर घाघरा का जलस्तर खतरे के निशान से 1 मीटर ऊपर है. इसकी वजह यह है कि नेपाल और उत्तराखंड में घाघरा के कैचमेंट एरिया में जमकर पानी बरसा है. इसका बहाव अब पूर्वांचल और तराई के जिलों की ओर हो रहा है. हालांकि उन्होंने राप्ती के जलस्तर में थोड़ी कमी जरूर आई है. मौसम विभाग ने अगले चार-पांच दिनों तक भारी बारिश का कोई अनुमान नहीं जारी किया है. इससे उम्मीद है कि नदियों के जलस्तर में कमी आ सकती है. नदियों के जलस्तर में कमी आने के बाद ही जलभराव खत्म हो पाएगा.

बलरामपुर और बस्ती में एक दूसरा खतरा गहराया

दूसरी तरफ जलस्तर में कमी आने के साथ ही बलरामपुर और बस्ती में एक अलग तरीके का खतरा मंडराने लगा है. राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि दोनों जिलों के जिलाधिकारियों ने नदी के तटबंध में कहीं कहीं कटान का अंदेशा जताया है. वैसे तो अभी तक किसी भी नदी का तटबंध प्रदेश में कहीं भी नहीं टूटा है लेकिन बलरामपुर और बस्ती में ऐसी स्थिति आती है तो उसके लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. राहत आयुक्त ने बताया कि प्रभावित जिलों में 95 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं. हालांकि अभी तक ऐसी स्थिति नहीं आई कि किसी को रेस्क्यू करके इन शरणालयों में रखा जाए. ये सभी अभी पूरी तरह खाली हैं. दूसरी तरफ 650 से ज्यादा नावें उन गांवों में लगाई गई है जिनका संपर्क कट गया है. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पीएसी की 16 टीमें भी लगाई गई है. लगभग 5000 खाने-पीने का पैकेट लोगों में वितरित कर दिया गया है. इस किट में में 10 किलो चावल, 10 किलो आटा, 10 किलो आलू, 5 लीटर केरोसिन, 2 किलो दाल, माचिस, बिस्कुट और दूसरी जरूरी सामान हैं.

वैसे तो सिचाई विभाग के नज़र में कहीं भी बाढ़ नहीं आयी है. बाढ़ का आना विभाग तब मानता है जब नदी का तटबंध टूट जाये और इलाके में पानी भर जाए. अभी तक कि खुशकिस्मती ये है कि किसी भी नदी ने तटबंध नहीं तोड़ा है. जो पानी जमा है उसकी वजह ज्यादा बारिश है. नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है. ऐसे में जमा हुआ पानी दूसरे चैनल्स के जरिये नदी में निकल नहीं पा रहा है. जब तक नदियों का जलस्तर कम नहीं होता तब तक हालात ऐसे ही बने रहेंगे. इस बीच यदि इन जिलों में ज्यादा पानी बरसा तो हालात और खराब भी हो सकते हैं.

उत्तर प्रदेश में बाढ़ से परेशान लोग गांव को छोड़ते हुए
बाराबंकी जिले में भी बाढ़ की स्थिति भयावह

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