विकास दुबे पर मुकदमा करने वाले पूर्ति निरीक्षक पर कार्रवाई क्यों ? उठ रहे सवाल, जांच की आंच खाद्य विभाग तक

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विकास दुबे(Vikas Dubey) के इलाकों में गरीबों को सरकारी अनाज नहीं  मिलता था इसका खुलासा एनकांउटर के बाद जांच में हुआ है। वहीं तीन साल पहले विकास दुबे के खिलाफ नामजद रिपोर्ट लिखवाने वाले पूर्ति निरीक्षक के खिलाफ की गई कार्यवाही पर अब सवाल भी उठ रहे हैं। ऐसे में जांच की आंच  खाद्य विभाग तक पहुंच गई है। 

कानपुर नगर के जिला पूर्ति अधिकारी के नेतृत्व में की गई जांच में बिल्हौर तहसील के बिकरू, भिटी, देव कली, कंजती,बोझा व मजरा पूराबुजुर्ग, मरहमतनगर व मजरा कीरतपुर, विरोहा एवं बसेन में राशन वितरण में गंभीर अनियमितताएं मिली हैं । बिकरू में 50 कार्ड धारकों ने जांच के दौरान बताया है कि उन्हें नियमित मासिक खाद्यान्न हर माह नहीं मिलता था। 54 कार्डधारकों ने पीएमजीकेए योजना का भी मुफ्त अनाज न मिलने की बात कही। इन लोगों ने बताया कि उनसे अंगूठा लगवा लिया जाता था लेकिन खाद्यान्न नहीं मिलता था। खाद्यान्न के लिए तय दाम से ज्यादा लेने और कम खाद्यान्न दिये जाने की बात भी सामने आई। खाद्य विभाग ने संबंधित पूर्ति निरीक्षक प्रशान्त कुमार सिंह को निलंबित कर दिया है। 

तहसील बिल्हौर में  माफिया विकास दुबे और उसके लोगों के द्वारा सरकारी अनाज पर डाका डालने का मामला  मई 2017 को उस समय सामने आया था जब विकास दुबे और विष्णु पाल सिंह के खिलाफ पूर्ति निरीक्षक प्रशान्त कुमार सिंह ने कानपुर के शिवराजपुर थाने में उन पर जानलेवा हमला करने और जान से मारने की धमकी देने की नामजद एफआईआर दर्ज करायी गई। पुलिस ने धारा- 332, 353, 323, 307, 504, 506 के तहत मामला दर्ज भी किया था।  

 विभागीय एसोसिएशन ने विकास दुबे की गिरफ्तारी और कठोर कार्रवाई की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन भी किया और खाद्य आयुक्त को ज्ञापन भी दिया था। महामंत्री टी.एन. चौरसिया ने कहा कि अगर उस समय कार्रवाई हो गई होती तो 8 पुलिस वालों की जान न जाती। उन्होंने कहा कि जिस पूर्ति निरीक्षक ने आवाज उठायी अब उसे ही बलि का बकरा बनाया जाना अनुचित है।   

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