इंदौर में खजराना के बीजेपी पार्षद उस्मान पटेल ने 40 साल बाद अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ बीजेपी का दामन छोड़ दिया। पार्षद उस्मान पटेल ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर बीजेपी के शहर अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा। इस दौरान उनके निवास पर कार्यकर्ताओं ने ढोल, नगाड़ों के साथ उनका स्वागत किया। बीजेपी छोड़ने का सबसे बड़ा कारण ये बताया जा रहा है कि, भविष्य में अपनी राजनीति बनाए रखने के लिए ही भाजपा पार्षद उस्मान पटेल ने बीजेपी छोड़ दी। सवाल ये है कि, जब भाजपा परिषद का कार्यकाल समाप्त होने को है। ऐसे समय में ही उस्मान पटेल ने इस्तीफा देने का निर्णय क्यों लिया। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि, उस्मान पटेल भारतीय जनता पार्टी के एकमात्र दो बार के मुस्लिम पार्षद हैं। इसके बावजूद उन्हें पार्टी में कोई विशेष महत्व नहीं मिल रहा था। इस बार उन्हें न तो एमआईसी मेम्बर बनाया गया और न ही झोन अध्यक्ष बनाया गया। भाजपा की ओर से राजनीति करने वाले मुस्लिम नेताओं में बाबू खां पवार, मुन्नू इक्का पहलवान, खुरासान पठान जैसे कई मुस्लिम नेताओं ने चुनावी राजनीति में कदम तो रखा, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। उस्मान पटेल की जीत को हमेशा ही आश्चर्य के रूप में देखा गया। क्योंकि वह खजराना जैसे शत प्रतिशत मुस्लिम क्षेत्र से जीतते रहे हैं। उस्मान पटेल पर इन दिनों एनआरसी, सीएए को लेकर काफी दबाव था। साथ ही अब खजराना क्षेत्र के मुस्लिम इलाकों में उस्मान पटेल को वोट नहीं मिलने का काफी डर सता रहा था। इसे देखते हुए उस्मान पटेल ने भाजपा से इस्तीफा देने और कांग्रेस का दामन थामने का मन बनाया है। इसके लिए वे पहले से ही कई कांग्रेसी नेताओं से संपर्क में है। कांग्रेसी नेताओं ने उस्मान पटेल को नगर निगम का टिकट देने और पार्टी में सम्मानजनक स्थान देने का वायदा किया है।